# श्री माधवनाथ महाराज #
नाथ संप्रदाय वैदिक संस्कृति इतना ही प्राचीन है, ऐसा अनेक ग्रंथो से ज्ञात होता है नाथ संप्रदाय की स्थापना प्रत्यक्ष श्री षंकरजी ने की और इसका प्रचार-प्रसार श्री मच्छिंद्रनाथ ने किया | इसी परंपरा को अनवरत , निरंतर , अटूट रखने के लिए और सामान्य जनता को मार्गदर्शन करने के लिए समय -समय पर महात्मा और संतो ने अवतार लिया | नवनाथ परंपरा की इसी श्रंखला को अनवरत रखने के लिए जन्मसिद्थ योगी , अलौकिक संत , योगाभ्यान्त माधवनाथ महाराज का जन्म हुआ |
योगभयानंद श्री माधवनाथ महाराज का जन्म शक १७७९ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, यानी गुरुवार २६ मार्च १८५७ को श्रीमती मथुराबाई के देशस्थ ब्राह्मण परिवार और श्री मल्हारदा रत्नापारखी (कुलकर्णी) में सिन्नर तालुका, जिला नासिक के एक गांव पांगारी में हुआ था।
१८६७ की चैत्र प्रतिपदा गुड़ी पड़वा के दिन माधवनाथ महाराज ने नाथपंथ की महान विभूति श्री गुप्तनाथ महाराज के समाधी स्थान पर योगदीक्षा ग्रहण की और नाथ परंम्परानुसार वस्त्र धारण कर नाथपंत की गादि का अधिकार स्वीकार किया | उसके बाद महाराज ने चित्रकूट करवी का त्याग कर अज्ञातवास के लिए प्रारम्भ किया |
इस अज्ञातवास सर्वप्रथम माधवनाथ ने नाथ परंपरा के पूर्वज अर्थात नवनाथो की समाधि के दर्शन प्राप्त किए | श्री काशीनाथ विश्ववर ने महाराज को प्रत्यक्ष दर्शन दिए | इसके पश्चात माधवनाथ महाराज ने तपश्चचार्य के लिए हिमालय को प्रस्थान किया | निरन्तर ६ वर्षो तक महाराज ने हिमालय में साधना की |
उसके बाद महाराज ने अमरकंटक में २ वर्षो तक घोरसाधना की | तत्पश्चात महाराज ने लोकोद्वार हेतु समाज में पर्दापण किया |
इस कार्य के लिए महाराज ने सर्वप्रथम प्रातः स्मरणीय माता अहिल्यादेवी की कर्मस्थली इंदौर को निश्चित किया | उस समय इंदौर में होल्कर परिवार के राजवाड़े पर संत श्री देव मामलेदार उर्फ श्री यशवंतराव महाराज भोसेकर आये थे | वे सिद्थ पुरुष थे | उस समय रात्रि के १२:०० बजे थे | , श्री माधवानाथ जी का पर्दापण रजवाडे में हुआ | दोनों संतो ने एक दूसरे का अभिवादन किया | श्री देव मामलेदार ने महाराज श्री का परिचय और उनके योगक्षेम एवं आध्यात्मिक अधिकार का ज्ञान होलकर परिवार को करवाया | इस घटना के बाद ही होलकर परिवार का दृढ़ विष्वास माधवनाथ महाराज जी पर हुआ |
माधवनाथ महाराज के साथ समकालीन संतो का पंचायत था | इस पंचायत में शिर्डी के साईबाबा, षंगांव के गजानन महाराज, पलुस के घोंडीबा महाराज, नाषिक के गोपालदास महाराज और नाथ संम्रदाय श्री षिलनाथ महाराज थे | महाराज ने अपने शिष्यो में से श्री बाला साहेब रेगे को महाराज के इस तत्व का प्रत्यक्ष ज्ञान भी साईंनाथ महाराज ने करवाया था |
1924 में महाराज पुनः इंदौर पधारे, महाराज का व्रत था कि वे अपने शिष्यों के अतिरिक्त किसी के यहां निवास नहीं करते थे| होलकर परिवार ने विनंती की किंतु यह संभव नहीं था अतः महारानी ने युवराज यशवंतराव महाराज होलकर को दीक्षा देने का आग्रह किया जिसे महाराज ने तत्काल स्वीकार किया |
इसके बाद नाम संकीर्तन के प्रचार-प्रसार के लिए माधवनाथ महाराज ने इंदौर स्थित गोपाल मंदिर में नाम सप्ताह का आयोजन किया | इस आयोजन में महाराज ने प्रत्यक्ष भजन गाकर सभी का मन मोह लिया | आयोजन के अंतिम दिन नगर भोज का प्रयोजन था | सांयकाल को पालखी निकाली गयी | हजारों की संख्या में नाथ जी के भक्तों एवं शिष्यो ने उपस्थित होकर महाराज के उद्देश्य को संपूर्णता प्रदान की |
श्री माधव दास जी महाराज ने नाथ संप्रदाय के अनुसार अपनी संजीवनी समाधि माता अहिल्या की पावन नगरी इंदौर में हो इस बाबत श्रीमन महाराज के सामने इच्छा प्रकट की तुरंत श्रीमंत महाराज ने गुरु सेवा हेतु साउथ तुकोगंज के इस भूखंड को समाधि मंदिर हेतु प्रदान किया समाधि मंदिर के निर्माण हेतु 10,000 की धनराशि भी उपलब्ध कराई |
1935 में इस भव्य समाधि मंदिर का निर्माण हुआ | और 15 मई 1935 में स्वयं महाराज ने चरण पादुका ओं की स्थापना की तथा मंदिर के गर्भ गृह में समाधि के लिए एक स्थान निश्चित किया और यह आश्वासन दिया कि मेरी अंतिम शक्ति सदा के लिए यही रहेगी और भक्तों के दुखों का निराकरण और मार्गदर्शन प्रदान करेगी
इसके बाद तुरंत श्री माधव नाथ महाराज ने मंदिर संस्थान की व्यवस्था के लिए ट्रस्ट का निर्माण किया और मंदिर संस्थान के संपूर्ण सूत्र ट्रस्ट को प्रदान किए तथा मंदिर कार्य हेतु व्यवस्था पत्रक जारी किया | होलकर परिवार में मंदिर निर्माण में सहयोग प्रदान किया ऐसे ही अन्य भक्तों ने भी सहयोग प्रदान किया लगभग २० लाख का खर्च होकर इस भव्य सभागृह का निर्माण किया गया है |
श्री माधव नाथ महाराज की प्रेरणा से, श्री नाथ सुत राम चंद्र कुलकर्णी सबसे करीबी और सबसे भरोसेमंद शिष्य हैं, जो नाथन चा के नाम से प्रसिद्ध हैं, राम ने श्री माधव नाथ चरित्र को माधव नाथ दीपप्रकाश के रूप में 41 दिनों में कण्व ऋषि आश्रम, कनाल्डा जिला, जलगांव, महाराष्ट्र में पूरा किया। 1924 का साल और पुणे में श्री नरहर विनायक तारे और उनकी पत्नी ने आगे विकसित किया। 1936 में, एकनाथ षष्ठी के दिन, योगभयानंद माधवनाथ महाराज ने इंदौर में महासमाधि ली। इसके बाद शव को महाराज के आदेशानुसार उनके द्वारा निर्धारित स्थान पर दफना दिया गया। जिस उद्देश्य के लिए माधवनाथ महाराज ने जीवन भर काम किया, उसकी निरंतरता के लिए, संजीवन ज्योत समाधि मंदिर के रूप में स्थापित है और आज भी अपनी अदृश्य शक्ति से लाखों भक्तों को आशीर्वाद दे रही है।
मंदिर समय पत्रक
दैनिक आरती
- कंकड़ आरती 6:00 (AM)
- महाराज अभिषेक 8:00 (AM)
- नैवेद्यम 11:30 (AM)
- दैनिक पंचपदी 6:30 (संध्या)
- शेजारती 9:00 (PM)
आने वाले विशेषदिन
- श्री गुरुपूर्णिमा महोत्सव 20258 जुलाई से 10 जुलाई 2024 तक
- श्री माधवनाथ महाराज नाथ षष्टी सोहला 2024 मंगलवार 7 मई से शुक्रवार 10 मई 2024
- योगाभ्यानंद श्री माधवनाथ महाराज पुण्यतिथि महोत्सवरविवार 24 मार्च से रविवार 31 मार्च 2024
- श्री माधवनाथ महाराज जन्मोत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ीपड़वा 22 मार्च
- श्री पादुका स्थापना दिवस वैशाख शु द्वादशी 2 मे 2023
- श्री गुरुपूर्णिमा महोत्सव व्यास पूजा आषाढ़ पूर्णिमा (3 दिवस ) 1 से 3 जुलाई 2023
- श्रीमद् भागवत सप्ताह कार्तिक शुक्ल 8 से पूर्णिमा 21 से 27 नवंबर तक
- श्री माधवनाथ महाराज पुण्यतिथि उत्सव फाल्गुन पूर्णिमा को एकनाथ षष्ठी